इस दिग्गज अभिनेता को जेल से शूटिंग पूरी करने के लिए सेट पर लाया जाता था?

 हिंदी सिनेमा के दिवंगत अभिनेता बलराज साहनी को देश के महान प्रभावशावी अभिनेताओं में शुमार किया जाता है. 50-60 के दशक में उन्हें सबसे शिक्षित अभिनेता के रूप में भी याद किया जाता है. उन्हें अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए याद किया जाता है. बलराज साहनी अपने आसपास हो रही घटनाओं पर भी मुखर होकर अपने विचार रखते थे. आज बात करते हैं प्रतिभा के धनी इस अभिनेता के उस हिस्से की जिसमें उन्हें राजनीतिक विचारों का शिकार हो जेल की हवा खानी पड़ी.

पंजाब विश्वविद्यालय और कवि रविंद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन में पढ़ाई करने वाले बलराज साहनी विश्व युद्ध के दौरान लंदन बीबीसी में पत्रकार थे. जब वे लौटकर भारत आए तो कम्यूनिस्ट विचारधारा से प्रभावित हो गए.

बात उस वक्त की है जब देश आजाद हो चुका था और राजनेताओं का एक बड़ा वर्ग कम्यूनिस्टों को जोकि जनआंदोलन में समर्थन नहीं दे रहे थे उन्हें देश द्रोही माना जा रहा था. तभी ऐसे लोगों की धड़पकड़ शुरू हुई जिसमें बलराज साहनी भी हाथ लग गए.

अब उनपर कम्यूनिस्ट होने और वामपंथी सांस्कृतिक आंदोलन को समर्थन देने और उसे आम लोगों तक ले जाने का आरोप लगा. जिसके बाद बलराज साहनी को हथकड़ी लगाकर जेल में डाल दिया गया.

उन दिनों मुगल-ए-आज़म के कारण सुर्खियां बटोरने वाले निर्माता-निर्देशक के आसिफ हलचल नाम की सामाजिक फिल्म बना रहे थे. हालांकि इस फिल्म के लीड रोल में दिलीप कुमार थे और बलराज साहनी ने जेलर का किरदार निभाया था.

जेल जाने के कारण अगर फिल्म की शूटिंग आधे में रूक जाती तो के आसिफ को बहुत नुकसान होता. ऐसे में उन्होंने सरकार से गुहार लगाई.

जिसके बाद विशेष अनुरोध पर उन्हें दिन में शूटिंग करने और शाम को जेल वापस जाने की अनुमति दी गई.

बता दें, बलराज साहनी ने कई बड़ी अभिनेत्रियों के साथ काम किया. यही नहीं काबुलीवाला, भाभी की चूड़ियां, घर संसार. नानक दुखिया सब संसार में उनके अभिनय की चर्चा आज भी होती है.


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