लाहौर की सबसे महंगी हीरोइन कैसे बनीं Bollywood की 'वैम्प'? उनके एक्सप्रेशन के आगे फीकी थी टॉप एक्ट्रेसेज की चमक
'बेशर्म लड़की सबसे सामने पाउडर लगा रही है', 'हमारा घराना, नौटंकी वाले घराने में सबसे ज्यादा मशहूर था' और 'अभी तो मैं 28 साल की ही हूं...' यह मशहूर डायलॉग थे हिंदी सिनेमा की टैलेंटेड एक्ट्रेस मनोरमा (Actress Manorama) के।
16 अगस्त 1926 को लाहौर में आइरिश मां और भारतीय क्रिश्चियन पिता के घर में जन्मीं एरिन आइसैक डेनियल्स (Erin Isaac Daniels) एक्टिंग की दुनिया में आकर मनोरना बन गईं। मनोरमा वो अदाकारा थीं, जिनके आगे बड़ी-बड़ी एक्ट्रेसेज की चमक भी फीकी थी। एक ओर मनोरमा को खड़ा कर दिया जाए और दूसरी ओर किसी टॉप एक्ट्रेस को... तो लोगों का ध्यान मनोरमा पर ही जाएगा, क्योंकि उनकी पर्सनैलिटी ही इतनी गजब की थी।
मनोरमा कहा करती थीं कि फिल्म में कई ऐसे सीन या शॉट्स होते हैं, जिसमें सारा ध्यान किसी और कलाकार पर होता है और आपके पास करने के लिए कुछ नहीं होता है। इसलिए अपने ऊपर सबका ध्यान खींचने के लिए कुछ अलग करके दिखाना होता है। अगर डायलॉग्स नहीं हैं तो हाव-भाव या फिर बॉडी लैंग्वेज से अपनी मौजूदगी का एहसास करवाइए। पर्दे पर मनोरमा कुछ ऐसा ही किया करती थीं।
सीता और गीता, एक फूल दो माली, दो कलियां समेत कई फिल्मों में मनोरमा ने अलग अंदाज में अपने डायलॉग और एक्सप्रेशंस से ऑडियंस का दिल छू लिया। मनोरमा ने यूं तो कई कॉमिक रोल्स के लिए वाहवाही बटोरी, मगर सिर्फ कॉमेडी ही नहीं, बल्कि तेज-तर्रार विलेन अवतार में भी वह ऐसा कारनामा करती थीं कि ऑडियंस के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती थी। क्या आपको पता है कि सिनेमा की कैरेक्टर एक्ट्रेस कही जानी वाली मनोरमा कभी लाहौर की दिग्गज एक्ट्रेसेज में गिनी जाती थीं।
लाहौर में पली-बढ़ीं मनोरमा स्कूल में डांस और ड्रामा कॉम्पटीशन में हिस्सा लिया करती थीं। तभी उन पर नजर फिल्म निर्माता रूप के शौरे (Roop K Shorey) पर पढ़ी और उन्होंने मनोरमा को फिल्मी दुनिया में आने के लिए कहा। यही नहीं, मनोरमा के परिवार को भी मनाया। रूप ने ही एरिन को मनोरमा का टैग दिया। हालांकि, वह उन्हें लॉन्च न कर सके, लेकिन उनके दोस्त और प्रोड्यूसर दलसुख पंचोली ने उन्हें पहली फिल्म ऑफर की।
मनोरमा ने अपने करियर की शुरुआत पंचोली की फिल्म खजांची (Khazanchi) से की थी, जो ब्लॉकबस्टर साबित हुई। इस फिल्म के बाद मनोरमा की किस्मत चमक हो उठी और वह लाहौर की सबसे महंगी अभिनेत्रियों में गिनी जाने लगीं। तभी पाकिस्तान और भारत का बंटवारा हो गया और वह अपने पति के साथ मुंबई आ गईं।
यहां आकर वह बतौर एक्ट्रेस तो नाम नहीं कमा पाईं, लेकिन कैरेक्टर एक्ट्रेस बनकर वह छा गईं। थोड़ा स्ट्रगल करने के बाद मनोरमा को दिलीप कुमार (Dilip Kumar) की फिल्म घर की इज्जत में बहन का रोल मिला और वह छा गईं। फिर उन्हें पंजाबी फिल्म लच्छी में लीड रोल मिला और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हुई। इसके बाद मनोरमा की झोली में कई किरदार आए, जिसे उन्होंने ऐसे निभाए कि वह अमर हो गए।
मनोरमा की आखिरी फिल्म 'वॉटर' (Water, 2005) थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि शूटिंग के वक्त इस फिल्म की पूरी कास्ट बदल दी गई थी, लेकिन मधुमति के रूप में मनोरमा पहली और आखिरी च्वॉइस बनी रहीं। फिल्म के रोल के लिए उन्हें खूब प्रशंसा मिली थी। वह फिल्मों के बाद टीवी में भी आईं।
मनोरमा ने शाह रुख खान (Shah Rukh Khan) के टीवी शो दस्तक, हितेन तेजवानी के सीरियल कुटुंब और कश्ती और कुंडली जैसे सीरियल्स में भी काम किया है।
इस फिल्म के बाद मनोरमा की तबीयत बिगड़ती रही। आखिरी समय में न उनके साथ पति थे और ना ही बेटी। पति राजन हकसर से तलाक के बाद बेटी रीता हकसर ही उनके पास थीं, लेकिन शादी के बाद उनकी बेटी गल्फ में शिफ्ट हो गई थीं। साल 2008 में लंबी बीमारी के बाद मनोरमा का निधन हो गया था।
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