वो बॉलीवुड विलेन, जिसके आगे फेल हो जाता था सारे सुपरस्टार का स्टारडम, हीरो को ही पढ़ा देता था नैतिकता का पाठ
आज हम आपको बॉलीवुड के एक ऐसे विलेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके आगे कोई भी सुपरस्टार हो, वो फीका पड़ जाता था और उस बॉलीवुड विलेन का नाम था हामिद अली खान, जो अजीत के नाम से मशहूर थे.
आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी उनके चाहने वालों को दिलों में जिंदा हैं. 22 अक्टूबर 1998 को 76 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था. 5 दशक के अपने करियर में उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम किया था.
दिग्गज अभिनेता अजीत खान का जन्म 27 जनवरी 1922 हामिद अली खान के रूप में हैदराबाद शहर के बाहर गोलकुंडा के ऐतिहासिक किले के पास एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. अजीत के पूर्वज हैदराबाद में बसने से पहले अफगानिस्तान के कंधार से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर आ गए थे.
फिल्मों में आने से पहले उन्हें काफी स्ट्रगल भी करना पड़ा था. कहा जाता है कि करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने कई फिल्मों एक्ट्रा के रूप में भी काम किया, लेकिन देखते ही देखते अजीत बड़े पर्दे पर छा गए और उन्होंने फिल्मों की लाइन लगा दी. दर्शकों ने उन्हें भरपूर प्यार दिया, वैसे तो उन्होंने अपने करिअर के शुरुआत में हीरो के रूप में काम किया, लेकिन सही मायने में सफलता उन्हें एक विलेन के तौर पर ही मिले.
बता दें, अजीत एक ऐसे बॉलीवुड के विलेन थे, जिनके आगे कोई भी हीरो टिक नहीं पाया. ये हमेशा देखा गया है कि फिल्मों में हीरो विलेन को नैतिकता का पाठ पढ़ाता है, लेकिन अजीत के मामले में ये सब उल्टा था. कहा जाता है कि कभी वह हीरो से कहते, 'आशीर्वाद तो बड़े देते हैं, हम तो सिर्फ राय देते हैं.' वह हीरो से ये बी कहा करते थे, 'उम्र से बढ़कर बातें नहीं करते.' इसमें तो कोई शक नहीं कि अजीत के डायलॉग्स के आगे सभी फेल थे.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अजीत बचपन से ही एक्टर बनना चहाते थे और अपने सपने को पूरा करने के लिए वह अपने घर से भागकर मुंबई आ गए थे. कहा तो ये भी जाता है कि उन पर एक्टिंग का ऐसा जुनून सवार था कि उन्होंने अपनी किताबें तक बेच डाली थी.
जब अजीत खान मुंबई आए थे तो उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी, तो उन दिनों वह सीमेंट से बनी पाइपों में रहना शुरू कर दिया था. उन दिनों लोकल एरिया के गुंडे उन पाइपों में रह रहे लोगों से हफ्ता वसूली किया करते थे और जो पैसे नहीं देता था, गुंडे उन्हे पीटकर वहां से निकाल देते थे. ये सब देख अजीत को एक दिन गुस्सा आ गया और उन्होंने गुंड़ों की पिटाई कर दी. इससे वहां रह रहे लोगों के बीच अजीत की काफी इज्जत बढ़ गई थी.
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