शूटिंग पर मुझे मिलती थी पूजा भट्ट की उतरन, पता नहीं था कि गिनती पर नाचना होता है..
साल 1994 में फिल्म ‘आग’ से हिंदी सिनेमा में डेब्यू करने वाली सोनाली बेंद्रे को हालांकि मुख्यधारा के सिनेमा में लोकप्रियता उनके मणिरत्नम निर्देशित फिल्म ‘बॉम्बे’ के गाने ‘हम्मा हम्मा’ से मिली लेकिन अपने करियर के पहले ही साल में सोनाली ने जो भुगता, उसका दर्द उन्होंने अब जाकर बयां किया है।
हिंदी फिल्म जगत में भट्ट भाइयों का दबदबा रहा है। विशेष फिल्म्स के बैनर तले निर्माता मुकेश भट्ट और निर्देशक महेश भट्ट की ‘दबंगई’ ऐसी रही है कि सोशल मीडिया का दौर आने से पहले उनकी कही बात को कोई काट ही नहीं सकता था। नए या उभरते सितारों को मौका देने के लिए उनके बैनर की खूब तारीफें होतीं, लेकिन सच ये भी है कि इस बैनर की फिल्मों मे काम करने आए इन कलाकारों की बेइज्जती भी खूब की जाती थी।
साल 1994 में रिलीज फिल्म ‘नाराज’ की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे को साथ जो कुछ हुआ, उसका खुलासा उन्होंने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के एक पॉडकास्ट में किया है। वह कहती हैं, ‘जब मैंने भट्ट साब के साथ फिल्म ‘नाराज’ साइन की तो मुझे जो कपडे दिए जाते थे, वे फिल्म की मुख्य हीरोइन पूजा भट्ट (महेश भट्ट की बेटी) के रिजेक्ट किए हुए कपड़े होते थे। यही मेरे पास आता था। लेकिन, इसका फायदा ये भी होता था कि ये रिजेक्ट किए हुए ऐसे होते थे कि जो मैं ही कायदे से पहन सकती थी। और, फिल्म ‘नाराज’ के ही इस गाने ने मुझे मशहूर कर दिया।’
सोनाली बेंद्रे ने इस इंटरव्यू में ये भी माना है कि फिल्मों मे जो कुछ है वह परदे पर दिखने वाली खूबसूरती ही है। वह कहती हैं, ‘फिल्म एक विजुअल माध्यम है और यही कारोबार है। इसके शर्माने या भागने की कोई जरूरत नहीं है। अगर आप एक खास तरह के नहीं दिखते हैं तो आप परदे पर आ ही नहीं सकते। आपसे एक खास तरह के सुडौलपन की उम्मीद की जाती है और शायद इसी सुडौल शरीर की वजह से मैं इस कारोबार में आ पाई।’
सोनाली बेंद्रे के पिता सरकारी कर्मचारी थे और उनकी स्कूली शिक्षा बंगलुरू में हुई। बाद में मुंबई के रुइया कॉलेज से उन्होंने स्नातक की परीक्षा पास की। उनके परिवार को कोई सदस्य पहले से फिल्मों में नहीं था और इसके चलते उन्हें फिल्म जगत में काफी दिक्कतें भी उठानी पड़ीं। सोनाली बताती हैं, ‘अपने पूरे करियर के दौरान में जो कर रही थी, उसका आनंद नहीं ले पा रही थी। जब मैं फिल्म ‘नाराज’ की शूटिंग कर रही थी तो डांस मास्टर के इशारे तक मुझे समझ नहीं आते। यहां वन टू थ्री फोर और फाइव सिक्स सेवन एट के हिसाब से अपने शरीर के हिस्से घुमाने चलाने होते हैं। लेकिन जब कोरियोग्राफर ये गिनती गिनता तो मुझे छोड़ बाकी लोग नाचने लगते हैं और मैं इंतजार करती रहती कि कब निर्देशक महोदय एक्शन बोलेंगे।’
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