'तीसरी मंजिल'
इस मर्डर मिस्ट्री की शुरुआत एक लड़की से होती है, जो बेढंगे तरीके से पहाड़ों पर ड्राइव करते हुए एक होटल में जाती है. फिर थर्ड फ्लोर से गिरकर उसकी मौत हो जाती है. लोगों को लगता है कि उसने सुसाइड किया है.
लेकिन लड़की की बहन सुनीता को विश्वास नहीं होता. वो बहन की मौत की वजह का पता लगाने के लिए होटल और वहां काम करने वालों से एक अजनबी की तरह बातचीत करती है. वही रहती है. इस बीच उसकी दोस्ती होटल में ड्रम बजाने वाले रॉकी से मुलाकात होती है.
फिल्म में सुनीता का किरदार आशा पारेख ने जबकि रॉकी के रोल शम्मी कपूर ने निभाया. सुनीता जिस कातिल की तलाश में होती है, उसे पकड़ने के लिए वह गुपचुप तरीके से काम करती है. वहीं, रॉकी भी कातिल का पता लगाने की ट्रैप बिछाता है.
लेकिन सुनीता को रॉकी पर ही शक होने लगता है. सुनीता बहन की मौत के तार जोड़ना शुरू करती है, जो रॉकी से जुड़े होते हैं. सुनीता भी काफी कन्फ्यूज लगती है. ऑडियंस को भी नहीं समझ में आता कि कत्ल हुआ या मर्डर.
बीच-बीच में प्रेम चोपड़ा के किरदार रमेश पर भी शक जाता है. लेकिन उसका सुनीता की बहन की मौत से कोई कनेक्शन नजर नहीं आता. रमेश पहले सुनीता की बहन से सगाई करता है, लेकिन उसकी मौत के बाद सुनीता से शादी करना चाहता है.
फिल्म का नाम 'तीसरी मंजिल' है. इसका क्लाइमैक्स काफी इंटरेस्टिंग है. विलेन कौन निकलता है? यह जानने के लिए आपको फिल्म तो देखना बनता है. यह साल 1966 की ब्लॉकबस्टर फिल्मों में से एक थी.
'तीसरी मंजिल' को देव आनंद के भाई विजय आनंद ने डायरेक्ट की थी. इसके प्रोड्यूसर आमिर खान के पापा नासिर हुसैन थे. फिल्म में शम्मी कपूर, आशा पारेख के अलावा हेलेन, प्रेमनाथ, राज मेहरा जैसे उस दौर के प्रतिभाशाली और बड़े कलाकार थे.
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