किस्सा: एक ही धोबी के यहां धुलते थे गुरु दत्त और देव आनंद के कपड़े, जानिए क्या हुआ था जब बदली थी दोनों की कमीज

  आज बात करते हैं गुरु दत्त और देव आनंद की।

गुरु दत्त की देव आनंद से पहली मुलाकात पुणे के प्रभात स्टूडियो में हुई थी। दोनों के कपड़े एक ही धोबी के यहाँ धुला करते थे। एक बार धोबी ने गलती से गुरु दत्त की कमीज देव आनंद के यहाँ और उनकी कमीज गुरु दत्त के यहाँ पहुंचा दी। अब मजे की बात ये थी कि दोनों ने वो कमीज पहन भी ली और दोनों को कमीज बदलने का पता भी नहीं लगा।


जब देव आनंद स्टूडियो में घुस रहे थे तो गुरु दत्त ने उनका हाथ मिलाकर स्वागत किया और अपना परिचय देते हुए कहा कि, 'मैं निर्देशक बेडेकर का असिस्टेंट हूं।' अचानक उनकी नजर देव आनंद की कमीज पर गई। वो उन्हें कुछ पहचानी हुई सी लगी और उन्होंने छूटते ही पूछा, 'ये कमीज आपने कहां से खरीदी?' देव आनंद थोड़ा सकपकाए लेकिन बोले, 'ये कमीज मेरे धोबी ने किसी की सालगिरह पर पहनने के लिए दी है। लेकिन जनाब आप भी बताएं कि आपने अपनी कमीज कहां से खरीदी?'


गुरु दत्त ने शरारती अंदाज में जवाब दिया कि ये कमीज उन्होंने कहीं से चुराई है। दोनों ने एक दूसरे की कमीज़ पहने हुए ज़ोर का ठहाका लगाया, एक दूसरे से गले मिले और हमेशा के लिए एक दूसरे के दोस्त हो गए। दोनों ने साथ मिलकर पूना (पुणे) शहर की खाक छानी और एक दिन अपने बियर के गिलास लड़ाते हुए गुरु दत्त ने वादा किया, 'देव अगर कभी मैं निर्देशक बनता हूँ तो तुम मेरे पहले हीरो होगे।'


गुरु दत्त की बात सुनकर देव ने भी उतनी ही गहनता से जवाब दिया, 'और तुम मेरे पहले निर्देशक होगे अगर मुझे कोई फिल्म प्रोड्यूस करने को मिलती है।' देव आनंद को अपना वादा याद रहा और जब नवकेतन फिल्म्स ने 'बाजी' बनाने का फैसला किया तो निर्देशन की जिम्मेदारी उन्होंने गुरु दत्त को दी। 'बाजी' फिल्म हिट साबित हुई और उसने उनके जीवन को बदल दिया। उन्होंने अपने परिवार के लिए पहला सीलिंग फैन खरीदा।


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