देवदास देख कर आए निर्देशक साहब तो आया "‘मुकद्दर का सिकंदर‘ बनाने का आइडिया:–

  अमिताभ बच्चन और रेखा की जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में दी हैं, जिनमें से खास है 'मुकद्दर का सिकंदर'. फिल्म के निर्माता प्रकाश मेहरा इसे मूल रूप से शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के मशहूर उपन्यास 'देवदास' से प्रेरित फिल्म मानते हैं. उन्होंने अमिताभ को इस फिल्म में देवदास की तरह का प्रेमी बनाकर दर्शकों के सामने पेश किया. आज इस फिल्म ने रिलीज के 44 साल पूरे किए हैं.


अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, रेखा, राखी और अमजद खान की बेमिसाल अदाकारी की मिसाल देनी हो, तो ‘मुकद्दर का सिकंदर‘ से बेहतरीन और कोई फिल्म नहीं हो सकती. आज इस फिल्म ने अपनी रिलीज के 44 साल पूरे कर लिए. इस फिल्म की बात चले तो सिर्फ इन कलाकारों की बेहतरीन अदाकारी की ही बात नहीं होती, बल्कि इसके कर्णप्रिय गानों ‘रोते हुए आते हैं सब, हंसता हुआ जो जाएगा‘, ‘सलाम-ए-इश्क मेरी जान जरा कुबूल कर लो‘, ‘ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना‘ का जिक्र भी आता है. लेकिन कलाकारों से हटकर जब हम फिल्म के निर्माता प्रकाश मेहरा की इस फिल्म से जुड़ी यादों की बात करें, तो उन्हें मशहूर बांग्ला साहित्यकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘देवदास’ की याद आती थी. आपने सही समझा, अमिताभ बच्चन की इस सुपरहिट फिल्म के पीछे भी उसी ‘देवदास’ को क्रेडिट जाता है, जिसने कुंदनलाल सहगल और दिलीप कुमार से लेकर शाहरुख खान तक को बड़ी कामयाबी बख्शी है.


दरअसल, प्रकाश मेहरा ने बचपन के दिनों में ही देवदास फिल्म देखी थी. साहित्य की महान कलाकृति पर आधारित इस फिल्म का कथानक उन्हें इतना पसंद था कि वे इसे अपने तरीके से गढ़ना चाहते थे. मेहरा की दिली ख्वाहिश थी कि वे देवदास पर फिल्म बनाए, लेकिन उसका नायक पुरानी फिल्मों वाला नहीं, बल्कि नए जमाने का प्रेमी हो. वह अपनी फिल्म के नायक को पुराने देवदास से कुछ अलग, मजबूत मानसिक शक्ति वाला दिखाना चाहते थे. चर्चित फिल्म लेखिका भावना सोमाया की ‘अमिताभः एक जीवित किंवदंती‘ में प्रकाश मेहरा ने ‘देवदास’ पर फिल्म बनाने की उनकी चाहत के बारे में विस्तार से लिखा है. साथ ही अमिताभ को फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में आधुनिक देवदास के रूप में पेश करना कैसा रहा, इस बारे में भी मेहरा ने अनुभव साझा किया है.


‘अमिताभः एक जीवित किंवदंती’ में प्रकाश मेहरा लिखते हैं- अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की फिल्मी जोड़ी का आगाज मेरी फिल्म ‘हेरा फेरी’ से हुआ था. एक्शन और कॉमेडी फिल्म बनाने के बाद मैं गंभीर प्रेम कथा पर फिल्म बनाना चाहता था. लक्ष्मीकांत शर्मा के पास ऐसी एक कहानी थी. चूंकि मैंने बचपन से ही देवदास देखता आ रहा था. उसकी कहानी दिलो-दिमाग पर थी ही, सो लक्ष्मीकांत शर्मा की कहानी को बदला गया. उसमें कई संशोधन किए गए, और आखिरकार ‘मुकद्दर का सिकंदर‘ की कहानी तैयार हो गई.


प्रकाश मेहरा लिखते हैं कि देवदास की तरह ही इस फिल्म का नायक भी अकेले पड़ा रहने वाला शख्स है, मगर वह कठिनाई सामने आने पर उसका डटकर मुकाबला करने का हौसला रखता है. हम इस फिल्म को अपने समय के सांचे में ढालकर पेश करना चाहते थे. इसलिए जब अमिताभ बच्चन से इसकी कहानी को लेकर बात हुई और उन्हें मैंने अपने मन की बात बताई, तो वे समझ गए. इस फिल्म के नायक को जिस गंभीरता की दरकार थी, अमिताभ ने उसे अपनी अदायगी से बखूबी पर्दे पर शानदार तरीके से उतारा. फिल्म में जोहरा बाई नाम की वेश्या भी है, जिसे आप देवदास की चंद्रमुखी समझें. मेहरा कहते हैं- अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म में जिस भाव प्रवणता और गंभीर अदायगी की झलक दिखाई, वही फिल्म के सफलता का आधार थी.

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