फिल्म ‘ज्वार भाटा’ में 22 साल के उस हैंडसम नौजवान को देख ना जाने कितनी किशोरियों का दिल उस पर डोल गया। बात आगे बढ़ी

  रुख और आफताब हुआ। चर्चा जमाने भर में फैल गया। चाहने वालों की गिनती में वे हीरोइनें भी शुमार हुईं जिनके चाहने वाले तब भी लाखों में थे। जी हां, दिलीप कुमार का रुआब ही कुछ ऐसा था। उनका सौवां जन्मदिन जमाना मना रहा है। याद आ रहे हैं वे किस्से जिनमें कभी नरगिस का नाम आता है तो कभी मधुबाला का। वे तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर फिर से शाया हो रही हैं जिनमें दिलीप कुमार ‘मुगले आजम’ के सेट पर मधुबाला की आंखों में निहार रहे हैं। ऐसी जोड़ी हर मोहब्बत की बने, इस दुआ के साथ चलिए आपको बताते हैं कि दिलीप कुमार की परदे पर जोड़ियां कितनी हसीन रहीं और किस फिल्म में आमने सामने आए हिंदी सिनेमा के ट्रेजेडी क्वीन और ट्रेजेडी किंग...


दिलीप कुमार और नरगिस – सात फिल्में


नरगिस ने भले ही राज कपूर के साथ एक प्रतिष्ठित जोड़ी बनाई हो, लेकिन नरगिस ने दिलीप कुमार के साथ सात फिल्मों में अभिनय किया जिनमें 'अनोखा प्यार' (1948), 'मेला' (1948), 'अंदाज' (1949), 'बाबुल' (1950), 'जोगन' (1950), 'हलचल' (1951) और 'दीदार'(1951) शामिल है। 'मेला' में दिलीप कुमार और नरगिस ने बचपन की प्रेमिकाओं की भूमिका निभाई, जो परिस्थितियों से अलग हो गईं। महबूब खान की 'अंदाज'  प्रेम त्रिकोण पर आधारित एकतरफा प्यार का प्रतीक था जिसमें नरगिस के साथ दिलीप कुमार और राज कपूर भी थे। 'बाबुल' गलतफहमी और दुर्भाग्य का एक और मेलोड्रामा थी जबकि केदार शर्मा की फिल्म 'जोगन'  में दिलीप कुमार ने एक नास्तिक की भूमिका निभाई जो जोगन बनी नरगिस के प्यार में पड़ जाता है। 'दीदार' में  नरगिस के साथ निम्मी भी थीं। यह फिल्म एक तरफा प्यार की कहानी थी। जब महबूब खान ने नरगिस के साथ 'मदर इंडिया'  की पेशकश की तो दिलीप कुमार ने इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह फिल्म में नरगिस के बेटे की भूमिका नहीं निभाना चाह रहे थे।


दिलीप कुमार और वैजयंती माला – सात फिल्में


दिलीप कुमार ने वैजयंती माला के साथ में सात फिल्मों 'देवदास' (1955), 'नया दौर' (1957), 'मधुमती' (1958), 'पैगाम' (1959), 'गंगा जमुना' (1961), 'लीडर' (1964) और संघर्ष (1968) में काम किया। इन फिल्मों में दोनो की  जोड़ी को खूब पसंद किया गया। 'देवदास' के संवाद उन दिनों इतने फेमस हुए कि कई फिल्मों में भी बार बार बोले गए। दिलीप कुमार और वैजयंती माला  की ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री ने ऑफ-स्क्रीन रोमांस की अफवाहों को जन्म दिया लेकिन दोनों ने इससे हमेशा इनकार ही किया। दिलीप कुमार और  राज कपूर के साथ वैजयंती माला की स्पष्ट निकटता के कारण जल्द ही उनके बीच अनबन हो गई। 'लीडर' की तारीखें 'संगम' के साथ टकराईं। दोनों बड़े पैमाने पर तारीखें चाहते थे, उनकी यह एक पेशेवर प्रतिद्वंद्विता थी। लेकिन बीच में फंस गईं वैजयंती माला और लगभग आठ दिनों तक 'राम और श्याम'  के लिए शूटिंग करने के बाद उनको बदल कर  वहीदा रहमान को ले लिया गया। दिलीप कुमार के साथ वैजयंती माला की आखिरी फिल्म 'संघर्ष' थी। 


दिलीप कुमार और मधुबाला – चार फिल्में


दिलीप कुमार और मधुबाला ने चार फिल्में साथ में कीं। दोनों पहली बार साल 1951 में रिलीज फिल्म 'तराना' में दिखे। बाद में उन्होंने 'संगदिल' (1952), 'अमर' (1954) और 'मुगल-ए-आजम' (1960) जैसी फिल्मों में  काम किया। दिलीप कुमार और मधुबाला न सिर्फ फिल्मों में रोमांटिक कपल के तौर पर नजर आए बल्कि असल जिंदगी में भी दोनों के एक दूसरे से इश्क के चर्चे खूब हुए। ग्वालियर में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान कुछ गुंडों ने महिलाओं के साथ बदतमीजी की और उनके कपड़े फाड़ दिए। इस घटना के बाद मधुबाला के पिता ने शूटिंग की लोकेशन बदलने के लिए कहा। इसके बाद मामला कोर्ट में पहुंच गया और दिलीप साहब ने कोर्ट में फिल्म डायरेक्टर का साथ दिया। इसी के बाद से दोनों के रिश्ते में कड़वाहट आ गई। मधुबाला चाहती थीं कि दिलीप कुमार उनके पिता से माफी मांग लें। कहते हैं कि तब दिलीप कुमार ने मधुबाला से यहां तक कहा था कि तुम अपने पिता को छोड़ दो, मैं तुमसे शादी कर लूंगा। दोनों की अपनी जिद थी। इस वजह से रिश्ता तबाह हो गया। उस केस के बाद मधुबाला और दिलीप कुमार की एक साथ बनी फिल्म ‘मुगल ए आजम’ रही और उसके बाद दोनों कभी साथ नजर नहीं आए।


दिलीप कुमार और वहीदा रहमान – चार फिल्में


60 के दशक में वहीदा रहमान और दिलीप कुमार ने 'आदमी', 'दिल दिया दर्द लिया' और 'राम और श्याम' जैसी यादगार फिल्में कीं। फिल्म 'राम और श्याम' दिलीप कुमार की एक क्लासिक फिल्म है। इस फिल्म में दिलीप कुमार ने डबल रोल निभाया था, जिसे दर्शकों ने खूब प्यार दिया था. इस फिल्म के कारण वहीदा रहमान और मुमताज को काफी पॉपुलैरिटी मिली थी, जहां 'राम और श्याम' पूरी तरह से एंटरटेनर फिल्म थी, वहीं 'आदमी' और 'दिल दिया दर्द लिया' ने भी लोगों को खूब प्रभावित किया। इन फिल्मों के काफी लंबे समय के बाद दोनों 'मशाल' (1984) में दिखाई दिए। इस फिल्म का संवाद 'ऐ भाई!' काफी लोकप्रिय हुआ था। साथ ही लोगों को लंबे समय तक याद रहा वह दृश्य, जहां असहाय दिलीप कुमार एक सुनसान सड़क पर मदद के लिए भीख मांगता है क्योंकि उसकी प्यारी पत्नी सुधा (वहीदा रहमान) अपनी अंतिम सांस लेती है। 




दिलीप कुमार और सायरा बानो- तीन फिल्में


सायरा बानो के केवल दो सपने थे। एक एक्ट्रेस बनना और दूसरा दिलीप कुमार से शादी करना। किस्मत ने सायरा का साथ दिया और उनके दोनों सपने पूरे हो गए। सायरा बानो 22 साल की थीं और दिलीप कुमार 44 साल के, जब उन्होंने शादी की थी।  शादी के बाद दिलीप कुमार और सायरा बानो 'गोपी' 1970), 'सगीना' (1974) और 'बैराग' (1976) जैसी फिल्मों में साथ नजर आए। इन फिल्मों में दिलीप कुमार और सायरा बानो की जोड़ी खूब पसंद की गई। अंतिम समय तक सायरा बानो अपने सपनों के राजकुमार दिलीप कुमार की सेवा करती रहीं। सायरा बानो आज भी दिलीप कुमार की यादों को संजोए हुए हैं।




फिल्म ‘ज्वार भाटा’ में 22 साल के उस हैंडसम नौजवान को देख ना जाने कितनी किशोरियों का दिल उस पर डोल गया। बात आगे बढ़ी। रुख और आफताब हुआ। चर्चा जमाने भर में फैल गया। चाहने वालों की गिनती में वे हीरोइनें भी शुमार हुईं जिनके चाहने वाले तब भी लाखों में थे। जी हां, दिलीप कुमार का रुआब ही कुछ ऐसा था। उनका सौवां जन्मदिन जमाना मना रहा है। याद आ रहे हैं वे किस्से जिनमें कभी नरगिस का नाम आता है तो कभी मधुबाला का। वे तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर फिर से शाया हो रही हैं जिनमें दिलीप कुमार ‘मुगले आजम’ के सेट पर मधुबाला की आंखों में निहार रहे हैं। ऐसी जोड़ी हर मोहब्बत की बने, इस दुआ के साथ चलिए आपको बताते हैं कि दिलीप कुमार की परदे पर जोड़ियां कितनी हसीन रहीं और किस फिल्म में आमने सामने आए हिंदी सिनेमा के ट्रेजेडी क्वीन और ट्रेजेडी किंग...


दिलीप कुमार और नरगिस – सात फिल्में


नरगिस ने भले ही राज कपूर के साथ एक प्रतिष्ठित जोड़ी बनाई हो, लेकिन नरगिस ने दिलीप कुमार के साथ सात फिल्मों में अभिनय किया जिनमें 'अनोखा प्यार' (1948), 'मेला' (1948), 'अंदाज' (1949), 'बाबुल' (1950), 'जोगन' (1950), 'हलचल' (1951) और 'दीदार'(1951) शामिल है। 'मेला' में दिलीप कुमार और नरगिस ने बचपन की प्रेमिकाओं की भूमिका निभाई, जो परिस्थितियों से अलग हो गईं। महबूब खान की 'अंदाज'  प्रेम त्रिकोण पर आधारित एकतरफा प्यार का प्रतीक था जिसमें नरगिस के साथ दिलीप कुमार और राज कपूर भी थे। 'बाबुल' गलतफहमी और दुर्भाग्य का एक और मेलोड्रामा थी जबकि केदार शर्मा की फिल्म 'जोगन'  में दिलीप कुमार ने एक नास्तिक की भूमिका निभाई जो जोगन बनी नरगिस के प्यार में पड़ जाता है। 'दीदार' में  नरगिस के साथ निम्मी भी थीं। यह फिल्म एक तरफा प्यार की कहानी थी। जब महबूब खान ने नरगिस के साथ 'मदर इंडिया'  की पेशकश की तो दिलीप कुमार ने इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह फिल्म में नरगिस के बेटे की भूमिका नहीं निभाना चाह रहे थे।




दिलीप कुमार और वैजयंती माला – सात फिल्में


दिलीप कुमार ने वैजयंती माला के साथ में सात फिल्मों 'देवदास' (1955), 'नया दौर' (1957), 'मधुमती' (1958), 'पैगाम' (1959), 'गंगा जमुना' (1961), 'लीडर' (1964) और संघर्ष (1968) में काम किया। इन फिल्मों में दोनो की  जोड़ी को खूब पसंद किया गया। 'देवदास' के संवाद उन दिनों इतने फेमस हुए कि कई फिल्मों में भी बार बार बोले गए। दिलीप कुमार और वैजयंती माला  की ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री ने ऑफ-स्क्रीन रोमांस की अफवाहों को जन्म दिया लेकिन दोनों ने इससे हमेशा इनकार ही किया। दिलीप कुमार और  राज कपूर के साथ वैजयंती माला की स्पष्ट निकटता के कारण जल्द ही उनके बीच अनबन हो गई। 'लीडर' की तारीखें 'संगम' के साथ टकराईं। दोनों बड़े पैमाने पर तारीखें चाहते थे, उनकी यह एक पेशेवर प्रतिद्वंद्विता थी। लेकिन बीच में फंस गईं वैजयंती माला और लगभग आठ दिनों तक 'राम और श्याम'  के लिए शूटिंग करने के बाद उनको बदल कर  वहीदा रहमान को ले लिया गया। दिलीप कुमार के साथ वैजयंती माला की आखिरी फिल्म 'संघर्ष' थी। 



दिलीप कुमार और निम्मी- पांच फिल्में


50 के दशक में दिलीप कुमार और निम्मी ने एक साथ पांच फिल्में की जिसमें 'आन', 'अमर', 'दीदार', 'दाग' और 'उड़न खटोला' है। उस दौर की सारी लड़कियों की तरह निम्मी भी दिलीप कुमार की फैन थीं। निम्मी उन्हें कुदरत का करिश्मा मानती थीं। एक इंटरव्यू में निम्मी ने कहा था, ‘दिलीप कुमार चुंबक की तरह लोगों को आकर्षित करते थे और वह भी उनके आकर्षण में थीं। मैं भी उनकी ओर आकर्षित हो रही थी। उनके आशिक हम भी थे।’ लेकिन मधुबाला जैसी खूबसूरत लड़की उनसे प्यार करती है। यह सोचकर निम्मी खुद को उनके बारे में सोचने से रोक लेती थीं।



दिलीप कुमार और मधुबाला – चार फिल्में


दिलीप कुमार और मधुबाला ने चार फिल्में साथ में कीं। दोनों पहली बार साल 1951 में रिलीज फिल्म 'तराना' में दिखे। बाद में उन्होंने 'संगदिल' (1952), 'अमर' (1954) और 'मुगल-ए-आजम' (1960) जैसी फिल्मों में  काम किया। दिलीप कुमार और मधुबाला न सिर्फ फिल्मों में रोमांटिक कपल के तौर पर नजर आए बल्कि असल जिंदगी में भी दोनों के एक दूसरे से इश्क के चर्चे खूब हुए। ग्वालियर में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान कुछ गुंडों ने महिलाओं के साथ बदतमीजी की और उनके कपड़े फाड़ दिए। इस घटना के बाद मधुबाला के पिता ने शूटिंग की लोकेशन बदलने के लिए कहा। इसके बाद मामला कोर्ट में पहुंच गया और दिलीप साहब ने कोर्ट में फिल्म डायरेक्टर का साथ दिया। इसी के बाद से दोनों के रिश्ते में कड़वाहट आ गई। मधुबाला चाहती थीं कि दिलीप कुमार उनके पिता से माफी मांग लें। कहते हैं कि तब दिलीप कुमार ने मधुबाला से यहां तक कहा था कि तुम अपने पिता को छोड़ दो, मैं तुमसे शादी कर लूंगा। दोनों की अपनी जिद थी। इस वजह से रिश्ता तबाह हो गया। उस केस के बाद मधुबाला और दिलीप कुमार की एक साथ बनी फिल्म ‘मुगल ए आजम’ रही और उसके बाद दोनों कभी साथ नजर नहीं आए।



दिलीप कुमार और वहीदा रहमान – चार फिल्में


60 के दशक में वहीदा रहमान और दिलीप कुमार ने 'आदमी', 'दिल दिया दर्द लिया' और 'राम और श्याम' जैसी यादगार फिल्में कीं। फिल्म 'राम और श्याम' दिलीप कुमार की एक क्लासिक फिल्म है। इस फिल्म में दिलीप कुमार ने डबल रोल निभाया था, जिसे दर्शकों ने खूब प्यार दिया था. इस फिल्म के कारण वहीदा रहमान और मुमताज को काफी पॉपुलैरिटी मिली थी, जहां 'राम और श्याम' पूरी तरह से एंटरटेनर फिल्म थी, वहीं 'आदमी' और 'दिल दिया दर्द लिया' ने भी लोगों को खूब प्रभावित किया। इन फिल्मों के काफी लंबे समय के बाद दोनों 'मशाल' (1984) में दिखाई दिए। इस फिल्म का संवाद 'ऐ भाई!' काफी लोकप्रिय हुआ था। साथ ही लोगों को लंबे समय तक याद रहा वह दृश्य, जहां असहाय दिलीप कुमार एक सुनसान सड़क पर मदद के लिए भीख मांगता है क्योंकि उसकी प्यारी पत्नी सुधा (वहीदा रहमान) अपनी अंतिम सांस लेती है। 



दिलीप कुमार और मीना कुमारी – चार फिल्में


दिलीप कुमार और मीना कुमारी को क्रमशः भारतीय सिनेमा के 'ट्रेजडी किंग' और 'ट्रेजेडी क्वीन' के रूप में जाना जाता था। लेकिन दोनों 'आजाद' (1955) और 'कोहिनूर' (1960) में जब साथ आए तो खुशमिजाज भूमिकाओं में दिखाई दिए। कई दुखद भूमिकाएं निभाने के कारण दिलीप कुमार को कुछ समय के लिए अवसाद का सामना करना पड़ा और अपने मनोचिकित्सक की सलाह पर उन्होंने हल्की-फुल्की भूमिकाएं भी निभाईं। 'आजाद' के बाद मीना कुमारी और दिलीप कुमार के बीच जो दोस्ती बढ़ी, वह 'कोहिनूर' में देखने को भी मिली, इस फिल्म के बाद 'फुटपाथ' (1953) और 'यहूदी' (1958) में दिलीप कुमार और मीना कुमारी की इमोशनल ड्रामा और ट्रेजडी देखने को मिली।



दिलीप कुमार और सायरा बानो- तीन फिल्में

सायरा बानो के केवल दो सपने थे। एक एक्ट्रेस बनना और दूसरा दिलीप कुमार से शादी करना। किस्मत ने सायरा का साथ दिया और उनके दोनों सपने पूरे हो गए। सायरा बानो 22 साल की थीं और दिलीप कुमार 44 साल के, जब उन्होंने शादी की थी।  शादी के बाद दिलीप कुमार और सायरा बानो 'गोपी' 1970), 'सगीना' (1974) और 'बैराग' (1976) जैसी फिल्मों में साथ नजर आए। इन फिल्मों में दिलीप कुमार और सायरा बानो की जोड़ी खूब पसंद की गई। अंतिम समय तक सायरा बानो अपने सपनों के राजकुमार दिलीप कुमार की सेवा करती रहीं। सायरा बानो आज भी दिलीप कुमार की यादों को संजोए हुए हैं।



दिलीप कुमार और कामिनी कौशल- तीन फिल्में

दिलीप कुमार और कामिनी कौशल ने पहली बार साल 1948 में आई फिल्म 'शहीद' में  साथ काम किया था। कामिनी की खूबसूरती देखकर दिलीप कुमार पहली नजर में उनपर अपना दिल हार बैठे थे। इसी फिल्म में काम करते-करते दोनों के बीच दोस्ती हुई और दोस्ती कब प्यार में बदल गई, यह उन्हें भी नहीं पता चला। 'शहीद' के बाद दोनों ने ‘शबनम’ और ‘नदिया के पार’ जैसी फिल्मों में काम किया। इन तीनों फिल्मों की शूटिंग के दौरान ही दोनों का प्यार परवान चढ़ा और दोनों ने एक-दूसरे को डेट करना शुरू कर दिया था। कामिनी  पहले से ही शादीशुदा थीं हालांकि उनकी शादी उनकी मर्जी के खिलाफ उनके जीजा बीएस सूद के साथ हुई थी। अभिनेत्री की बड़ी बहन की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी और उनके परिवार वालों ने अपनी दूसरी बेटी यानी कामिनी की शादी सूद से करवा दी थी। हालांकि, कामिनी के पति भी उनके और दिलीप कुमार के रिश्ते के बारे में जानते थे, लेकिन उन्होंने ये बात कहकर सबके मुंह बंद कर दिए कि दिलीप और कामिनी के बीच जो भी है, उससे जमाने को कोई लेना देना नहीं होना चाहिए। 3.....….................................................................................. 4....…................................................................................... 5....…................................................................................... 6..….................................................................................... .7.….................................................................................... ............................................................................................

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