किशोर कुमार का रूझान बचपन से ही संगीत की तरफ था, स्कूल के दिनों में वे डेस्क को तबले की तरह पीटा करते थे और फिर उस पर चढ़कर डांस किया करते थे। जब वे कॉलेज की पढ़ाई करने खंडवा से इंदौर आए तब भी उनकी संगीत उनके अंदर ही रहा। क्रिश्चयन कॉलेज में लगे इमली के पेड़ के नीचे वे घंटों
गुजरे जमाने के हिट सिंगर और अभिनेता किशोर कुमार की जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में हुआ था। उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट गाने गाए जो लोग आज भी गुनगुनाते हैं। किशोर कुमार का रूझान बचपन से ही संगीत की तरफ था, स्कूल के दिनों में वे डेस्क को तबले की तरह पीटा करते थे और फिर उस पर चढ़कर डांस किया करते थे। जब वे कॉलेज की पढ़ाई करने खंडवा से इंदौर आए तब भी उनकी संगीत उनके अंदर ही रहा। क्रिश्चयन कॉलेज में लगे इमली के पेड़ के नीचे वे घंटों रियाज किया करते थे। किशोर कुमार ने हमेशा खुद से ही गाना सीखा वे कभी संगीत सीखने नहीं गए। यही वजह थी कि उन्हें लता मंगेश्कर के साथ जब गाना होता था तब डर लगता था। एक बार किशोर कुमार ने लता मंगेशकर से कहा था कि मुझे सा रे गा मा नहीं आता आपको आता है। इसलिए मेरी गलतियां आप समझ सकती हैं। किशोर दा ने भले ही संगीत की तालीम न ली हो लेकिन उनकी गिनती बॉलीवुड के सफल और सबसे मंहगे सिंगर्स में की जाती है।
कॉलेज से जुड़े किस्से:-
किशोर कुमार (Kishor Kumar) से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जो उनके हरफनमौला अंदाज को बया करते हैं। किशोर दा ने 1946 में बतौर हीरो फिल्म ‘शिकारी’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इसके दो साल बाद 1948 में उन्होंने अपना पहला गाना देव आनंद की फिल्म ‘जिद्दी’ के लिए गाया था। किशोर कुमार के बारे में कहा जाता है कि वे बैठे-बैठे यू ही गाने बना लिया करते थे। उनसे जुड़ा एक किस्सा काफी मशहूर है। कहा जाता है कि जब किशोर कुमार इंदौर में कॉलेज की पढ़ाई कर रहे थे उन दिनों में वे कैंटीन से पोहा जलेबी खाया करते थे, इस दौरान उन पर कैंटीन वाले के 5 रुपये 12 आने उधार हो गए। जब कैंटीन वाले काका उनसे पैसे मांगते तो किशोर दा अपने अंदाज में ‘पांच रुपैया 12 आना मारेगा काका ना,ना,ना’ कहते हुए जवाब देते थे। बाद मैं उन्होंने इस गाने को फिल्म चलती का नाम गाना में 1958 में लिया था। मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है गाने वे कॉलेज के दिनों में गर्ल्स हॉस्टल की तरफ देखकर गाया करते थे, जिसे बाद में पड़ोसन फिल्म में लिया गया था।
इंदिरा गांधी ने लगा दिया था गानों पर बैन:-
किशोर कुमार के गानों पर इंदिरा गांधी ने बैन लगा दिया था। आपातकाल के दौर में इंदिरा गांधी ने 20 सूत्रीय प्रोगाम में किशोर दा को अपनी आवाज देने के लिए कहा था, लेकिन अपने अक्खड़ स्वभाव के लिए विख्यात किशोर दा ने ऐसा करने से मना कर दिया था, जिसके बाद इंदिरा गांधी ने उनके गानों पर बैन लगा दिया था।
किशोर कुमार के थे तीन नाम:-
किशोर कुमार का असली नाम आभास गांगुली था, लेकिन जब उन्होंने फिल्मी पर्दे पर कदम रखा तो उन्हें किशोर कुमार नाम मिला। मधुबाला से शादी करने के लिए किशोर दा ने इस्लाम धर्म कबूल किया था, जिसके बाद उनका नाम करीम अब्दुल हो गया।
खंडवा में बनी है समाधि:-
किशोर कुमार को अपने शहर खंडवा से बहुत प्रेम था, वे अक्सर अपने भाषणों में खंडवा का जिक्र किया करते थे। उनकी मौत के बाद उनकी इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही किया गया था। यहां उनकी समाधि बनाई गई है, जहां आज भी उनके फैन पहुंचते हैं। किशोर कुमार की समाधी पर फैन दूध जलेबी का प्रसाद चढ़ाते हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने किशोर दा की जंयती पर खंडवा जिले का गौरव दिवस मनाने की परंपरा शुरू की है।