फिल्म की कहानी शिवनाथ शर्मा के परिवार की कहानी है. इस परिवार में शिवनाथ जी अपने तीन बेटों के साथ रहते हैं, जिनके आपस में मतभेद हैं.

    'अपना काम तो सभी करते हैं:-लेकिन दूसरों का काम करने में जो सुख मिलता है..' ......बावर्ची का यह डायलॉग फिल्म की पूरी कहानी बयां कर देता है. पारिवारिक मूल्यों और रिश्तों की गर्माहट को बनाए रखने के गुर ऋषिकेश मुखर्जी ने फिल्म बावर्ची के ज़रिये लोगों को सिखाए हैं. भारतीय परिवारों की छोटी-छोटी बातों, उनकी आदतों और उनके बर्तावों को कहानी में लपेटकर लोगों के सामने पेश करने का काम ऋषिकेश मुखर्जी ने बेहद उम्दा ढंग से किया है. इतना ही नहीं, परिवार में अलग-अलग स्वाभाव और सोच रखनेवाले परिजनों की ज़िन्दगी में कैसे उतार-चढ़ाव आते हैं और वे उन्हें एक-दूसरे के साथ मिलकर कैसे संभालते हैं, इसका बेहतरीन उदाहरण कोई पेश कर सकता था, तो वे थे ऋषिकेश मुखर्जी.




फ़ोटो पर क्लिक करे और एक जादू देखे 

अभिनय का जादू:-


फिल्म की कहानी बावर्ची रघु के इर्द-गिर्द घूमती है और इसी बावर्ची का किरदार निभाया है राजेश खन्ना ने. राजेश खन्ना ने अपने बेहतरीन अभिनय के बल पर  लोगों का दिल जीत लिया था. इस फिल्म का निर्माण, संपादन और निर्देशन सबकुछ हृषिकेश मुखर्जी ने किया था और इसका लेखन किया था तपन सिन्हा ने. हालांकि अपनी अन्य फिल्मों की ही तरह ऋषिकेश मुखर्जी ने ही इसी पटकथा तैयार की थी


पुरस्कार और सम्मान :-


फिल्म में बेहतरीन हास्य अभिनेता का किरदार निभाने के लिए अभिनेता पेंटल को फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार दिया गया था. अभिनेता पेंटल ने फिल्म में डांस मास्टर का किरदार निभाया था.


कही-अनकही बातें:-


उस वक्त मीडिया में छाई खबरों की मानें तो बावर्ची के सेट पर राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन का झगड़ा हो गया था. इस झगड़े की वजह थीं जया भादुड़ी. असल में अमिताभ बच्चन उन दिनों जया भादुड़ी से मिलने बावर्ची के सेट पर आते-जाते थे.  इस फिल्म की रिलीज़ तक अमिताभ और जया की शादी नहीं हुई थी. लेकिन ये बात राजेश खन्ना को नागवार गुजरी और उन्होंने एक दिन अमिताभ को खरी-खोटी सुना डाली. इसके बाद जाया भादुड़ी, राजेश खन्ना पर बहुत बरसी थीं.


पटकथा :-


फिल्म की कहानी शिवनाथ शर्मा के परिवार की कहानी है. इस परिवार में शिवनाथ जी अपने तीन बेटों के साथ रहते हैं, जिनके आपस में मतभेद हैं. इन्ही मतभेदों की वजह से घर (जिसका नाम शांति भवन है) की सुख-शान्ति भंग हो गई है. लेकिन तभी उस घर में ऐसा बावर्ची (रघु) आता है जो परिवारजनों को आपस में प्यार करना और खुद पर भरोसा करना सिखाता है. बावर्ची रघु किस तरह इन लोगों को अपनेपन की सीख दे जाता है, ये फिल्म उसी पर आधारित है.


भोर आई.. गया अंधियारा.. :-


फिल्म का संगीत भी फिल्म की कहानी की ही तरह बेहतरीन है. ये एक ऐसी फिल्म थी, जिसके कई गाने एक साथ हिट हुए थे. इन गानों में फिल्म की कहानी की झलक दिखाई देती है. फिल्म का संगीत दिया था मदन मोहन ने और गीतों के बोल लिखे थे कैफ़ी आज़मी ने. गीतों को लता मंगेशकर, मन्ना डे, किशोर कुमार जैसे गायकों ने आवाज़ दी है.


बेहतरीन डायलॉग :-


"किसी बड़ी ख़ुशी के इंतज़ार में हम ये छोटी-छोटी खुशियों के मौके खो देते हैं."


हृशिकेश मुखर्जी की रचना बावर्ची ने लोगों को हंसाया, परिवार का महत्त्व समझाया, अपनों से प्यार करना सिखाया और खुद पर भरोसा करना सिखाया. यह फिल्म मनोरंजन से भरपूर है, जिसे ऋषिकेश मुखर्जी ने अपनी कला के जादू से यादगार बना दिया है.

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