बात है 1975 की है जब डायरेक्टर मनमोहन देसाई, सुबह-सुबह अख़बार में एक खबर पढ़कर विचलित हो गए. ख़बर छपी थी, कि एक आदमी अपने 3 बेटों को लेकर पार्क में आया और बच्चों को वहां अकेला छोड़कर उसने आत्महत्या कर ली. जब शाम को वो अपने राइटर प्रयाग राज से मिले तो मनमोहन ने उस खबर का जिक्र करते हुए कहा कि-'अगर वो आदमी खुदकुशी नहीं करता और वापस आकर देखता कि उसके तीनों बच्चें वहां नहीं है. उससे भी आगे, अगर उन तीनों बच्चों को अलग-अलग आदमी ले जाए, एक हिंदू, एक मुस्लिम और एक ईसाई तो क्या होता'?
हिंदी सिनेमा की एक ऐसी फिल्म जिसने कामयाबी के झंड़े गाड़ दिए उसका नाम है अमर अकबर एंथनी (Amar Akbar Anthony). ये फिल्म 27 मई 1977 को रिलीज हुई थी.
हिंदी सिनेमा की एक ऐसी फिल्म जिसने कामयाबी के झंड़े गाड़ दिए उसका नाम है अमर अकबर एंथनी (Amar Akbar Anthony). ये फिल्म 27 मई 1977 को रिलीज हुई जिसमें अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) , ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) ,विनोद खन्ना (Vinod Khanna), नीतू कपूर (neetu Kapoor), परवीन बाबी (Parveen), शबाना आजमी (Shabana Azmi), प्राण और निरूपा रॉय जैसे कलाकारों ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं. इस फिल्म की कहानी के पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है.
बात है 1975 की है जब डायरेक्टर मनमोहन देसाई, सुबह-सुबह अख़बार में एक खबर पढ़कर विचलित हो गए. ख़बर छपी थी, कि एक आदमी अपने 3 बेटों को लेकर पार्क में आया और बच्चों को वहां अकेला छोड़कर उसने आत्महत्या कर ली. जब शाम को वो अपने राइटर प्रयाग राज से मिले तो मनमोहन ने उस खबर का जिक्र करते हुए कहा कि-'अगर वो आदमी खुदकुशी नहीं करता और वापस आकर देखता कि उसके तीनों बच्चें वहां नहीं है. उससे भी आगे, अगर उन तीनों बच्चों को अलग-अलग आदमी ले जाए, एक हिंदू, एक मुस्लिम और एक ईसाई तो क्या होता'?
मनमोहन देसाई और प्रयाग राज की बातें एक कहानी का रूप लेने लगी. दोनों अगले दिन फिर मिले, लेकिन इस दफा मनमोहन की पत्नी जीवन प्रभा भी उनके साथ थीं और बातों ही बातों में तीनों ने एक बेहतरीन कहानी बना डाली. इस फिल्म को मनमोहन देसाई ने डायरेक्ट करने के साथ-साथ प्रड्यूस भी किया और कहानी लिखी प्रयाग राज, कादर खान और के.के शुक्ल ने..................................
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